You are here
Home > breaking news > अलीगढ में पुलिस के एनकाउंटर में मारे गए नौशाद और मुस्तकीम के परिवार वाले तम्बू में रहने को मजबूर

अलीगढ में पुलिस के एनकाउंटर में मारे गए नौशाद और मुस्तकीम के परिवार वाले तम्बू में रहने को मजबूर

Naushad and Moultim's family killed in police encounter in Aligarh, forced to stay in Tent

Share This:

अलीगढ में विवादों में रहे पुलिस के एक एनकाउंटर में मारे गए बदमाशों नौशाद और मुस्तकीम के परिजन आज दुर्दशा का शिकार हैं। जिस मकान में परिवारीजन रहा करते थे उस मकान मालिक ने उनका सामान बाहर फेंक कर उनको अपने घर से निकाल दिया है। आस पास के लोगों की दया पर निर्भर दोनों बदमाशों के परिजन अब तम्बू में रहने को मजबूर हैं।  ठण्ड के मौसम में दोनों के परिवार की महिलाएं,मानसिक रूप से कमजोर भाई और बच्चे तम्बू में किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं। आस पास के लोगों  द्वारा जो कुछ दुबका चोरी से उनको दे दिया जाता है उसी से वो बच्चों का और अपना काम चला रहे हैं। हालत ये है कि अब इन महिलाओं को कोई काम भी नहीं देता क्यों की इनके ऊपर एक दाग है बदमाशों का परिवार। परिवार में कोई और कमाने वाला भी नहीं है।

पुलिस द्वारा बीती बीस सितम्बर को थाना हरदुआगंज क्षेत्र में पुलिस एनकाउंटर में नौशाद और मुस्तकीम नामक दो बदमाश मारे गए थे। पुलिस के इस एनकाउंटर पर काफी विवाद भी हुआ था क्यों की ये एनकाउंटर मीडिया के कैमरे के सामने हुआ था। अलीगढ पुलिस पर काफी सवाल भी खड़े हुए थे। पुलिस ने मारे गए दोनों बदमाशों को इलाके में पिछले दिनों हुई साधुओं की हत्याओं में शामिल बताया था। पुलिस को इसमें बजरंग दल वालों का भी साथ मिला। विवादों में एनकाउंटर के आने के बाद वहां कई संगठनों के लोग बदमाशों के पक्ष में पहुँचने लगे थे।  इसमें JNU के छात्र नेता जिसमे कन्हैया कुमार, AMU के छात्र नेता, सपा की पूर्व प्रवक्ता रही पंखुरी पाठक व् उनके सहयोगी भी शामिल थे। जो भी मृतक बदमाशों के परिजनों से मिलने पहुँचता वहां मौजूद बजरंग दल के लोग उनका विरोध कर देते थे।  यहाँ तक कि पंखुरी पाठक व् उनके सहयोगियों के साथ तो मारपीट तक की गई।  सपा के एक प्रतिनिधिमंडल को बजरंग दल के विरोध के चलते अतरौली तक पहुँचने ही नहीं दिया गया।  पुलिस ने मृतक बदमाशों के परिवार से सपा प्रतिनिधिमंडल को अलीगढ में ही मिलवाया। आज भी यदि कोई दोनों बदमाशों से मिलने की कोशिश करता है तो कुछ लोग वहां उसका विरोध करते हैं। उन लोगों को पुलिस का भी समर्थन है क्यों की वो लोग पुलिस का ही एक तरह से समर्थन करते हैं।

बदमाशों के परिजन होने का दाग अब घर की महिलाओं और बच्चों को उठाना पढ़ रहा है। किराए के घर से पांच दिन पहले उनको बाहर निकल दिया गया। कुछ लोगों ने उनको टेंट इत्यादि  जिस को उन लोगों ने नजदीक ही खाली पड़े एक प्लाट में लगा लिया।  अब परिजन वहीँ अपनी गुजर बसर कर रहे हैं।  घर की महिलाओं का कहना है की कोई कमाने वाला नहीं और कोई उनको काम नहीं देता।  अब वो आस पास के कुछ लोगों की दया पर निर्भर हैं।  एक भाई बचा है जो मानसिक रूप से कमजोर है। घर के एक बुजुर्ग का एनकाउंटर वाले दिन से ही कुछ नहीं पता। वहीँ AMU  छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा की पुलिस ने दोनों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया और उसका खामियाजा अब परिवार के लोग भुगत रहे हैं। हमको  पता चला तो हम लोग वहां अतरौली गए और उनके लिए तम्बू इत्यादि का इंतजाम कराया। जल्दी ही हम उनको अलीगढ में रहने की ब्यवस्था करेंगे।

अजय कुमार अलीगढ़
हिंद न्यूज टीवी

Leave a Reply

Top