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मनोज तिवारी के कारण क्या नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नाक के नीचे से निकल गयी,दिल्ली की जीत

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 दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है।  हार भी उस समय हुई जब दो करोड़ वोटरों के लिए देशभर से अपने सभी सांसद और मंत्री सहित कार्यकर्ताओं की पूरी फौज दिल्ली में उतार दी थी. उसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी दहाई का आंकड़ा नहीं पार कर पाई। अब के दिल्ली चुनाव में पाकिस्तान को मुद्दा बनाने वाली भाजपा भाजपा सरकार अब अपनी लोक कल्याणकारी योजनाओं को लेकर देशभर में एक अभियान शुरू करने जा रही है.

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 

15 फरवरी से 31 मार्च तक यह अभियान देशभर में चलेगा और इसका नाम होगा हर काम देश के नाम

केंद्र के मंत्री द्वारा एक पत्र जारी कर सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया है. कि वह अपने अपने मंत्रालय के लोक कल्याणकारी कामों को इस अवधि में विभिन्न प्रचार माध्यमों के जरिए। जनता के सामने उजागर करें। जिससे जनता को मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यो का प्रचार हो सके. इससे यह माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की बौखलाहट कहीं न कहीं सामने आई है.और हो सकता हे इसमें दिल्ली पार्टी अध्यक्ष सहित कुछ नेताओ की कुरबानी भी न हो जाये।


नरेंद्र मोदी और अमित शाह

नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नाक के नीचे से दिल्ली निकल गई

इसका  सबसे बड़ा कारण यह भी रहा कि कितने राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए उनमें से ज्यातर  राज्य भारतीय जनता पार्टी के हाथ से फिसलता जा रहा है. इसमें भारतीय जनता पार्टी के दो बड़े नेता नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नाक के नीचे से दिल्ली निकल गई.  इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली से इस दुर्गति की कतई उम्मीद नहीं थी. वह भी जब हुआ जब नरेंद्र मोदी और अमित शाह और फायर ब्रिगेड नेता योगी की धुआंधार रैली की हो। 
 

किसी तरह हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को मिलाकर एक जोड़-तोड़ की सरकार बनाई

दिल्ली विधानसभा में हुई दिल्ली से पहले महाराष्ट्र और झारखंड में भी अन्य दलों की जीत हुई. भाजपा को भी हार ही हाथ लगी. किसी तरह हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को मिलाकर एक जोड़-तोड़ की सरकार बनाई गई। महंगाई एक बार फिर आसमान पर  है।  

 

इस चुनाव में फायदा मिला और  सत्ता विरोधी लहर दिल्ली में कहीं भी दिखाई नहीं दी

शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद होगा 2014 के लोकसभा चुनाव में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा था. इसी के दम पर 2014 में भाजपा कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा था. अबकी बार दिल्ली विधानसभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम किया था। जिसका उन्हें इस चुनाव में फायदा मिला और  सत्ता विरोधी लहर दिल्ली में कहीं भी दिखाई नहीं दी.

manoj tiwari

दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हो सकते हे हार पर कुर्बान सूत्र 

इसमें अगर माना जाए कि भारतीय जनता पार्टी को क्यों हार का सामना करना पड़ा। वह रहे बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, क्योंकि अध्यक्ष पद पर रहते हुए वह दिल्ली के आम आदमी का मूड भी नहीं भा पाए. और उनके द्वारा वरिष्ठ नेताओं को एक गलत फीडबैक दिया गया। अगर भारतीय जनता पार्टी समय से यह नारा जारी कर देती कि हर काम देश के नाम,तो आज हो सकता था कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती ना कि अरविंद केजरीवाल की सरकार।   इस वजह से मनोज तिवारी की कुर्बानी तय मानी जा रही है .

 


मनोज तिवारी की कुर्बानी तय

तिवारी ने आतंकवादी, गोली मारो,और  केजरीवाल की भगवान हनुमान की पूजा पर सवाल ,

इसके उल्ट मनोज तिवारी के अध्यक्ष पद के कार्यकाल में जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को आतंकवादी, गोली मारो,और  केजरीवाल की भगवान हनुमान की पूजा पर सवाल उठाए, वह कहीं ना कहीं आम जनता को बुरा लगा.  साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने कैंपेन में कहीं भी अपने विकास कार्यो का बखान नहीं किया।


इस साल के अंत में बिहार में भी चुनाव संपन्न कराने

अब यह देखना होगा कि हर काम देश के नाम के अभियान के माध्यम से क्या भाजपा को फायदा मिलता है। सबसे खास बात यह है कि इस साल के अंत में प्रमुख हिंदी भाषी राज्य बिहार में भी चुनाव संपन्न कराने हैं। और वहां पर जदयू व भाजपा की मिली जुली सरकार का शासन है.

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