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जिस दिल्ली को भाजपा में 6 महीने पहले जीता अब क्यों हारे, जानिए पूरा विश्लेषण,कहा लगा बीजेपी को करंट 

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Naresh Tomar —– 11 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम में 70 सीटों में से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 60 से भी ज्यादा सीटे मिली हैं। जबकि भाजपा के सीटों का आंकड़ा 10 से भी कम है। कांगे्रस को तो एक भी सीट नहीं मिली है।

अरविंद केजरीवाल की रणनीति सफल रही है


अरविंद केजरीवाल और शाह की रणनीति

दिल्ली के चुनाव परिणाम बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमितशाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मुकाबले में अरविंद केजरीवाल की रणनीति सफल रही है। चुनाव में केजरीवाल ने मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा की चाहत रखने वालों का ऐसा गठजोड़ बनाया कि भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।

ईवीएम का बटन गुस्से में दबाना, करंट शाहीन बाग में लगे,परिणाम बताते हैं कि करंट तो नहीं लगा लेकिन वोटों के तार शाहीन बाग से जुड़ गए

मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा ,शाइन बाग का करंट 

हालांकि भाजपा ने शाहीन बाग के धरने से दिल्ली वासियों को होने वाली परेशानियां भी उजागर की, लेकिन केजरीवाल की रणनीति के आगे भाजपा की कोई नीति नहीं चली। मुफ्त बिजल पानी के सामने भाजपा का राष्ट्रवाद भी धरा रह गया। चुनाव रैलियों में अमितशाह ने मतदाताओं से कहा था कि ईवीएम का बटन गुस्से में इतना जोर से दबाना की करंट शाहीन बाग में लगे। परिणाम बताते हैं कि करंट तो नहीं लगा लेकिन वोटों के तार शाहीन बाग से जुड़ गए। जब मुफ्त बिजली, पानी की चाहत रखने वाले वोटरों और शाहीन बाग में धरना देने वालों का गठजोड़ हुआ तो केजरीवाल को 70 में से 60 से भी ज्यादा सीटे मिल गई अब भाजपा अपनी हार के लिए कुछ भी तर्क दे, लेकिन  केजरीवाल ने यह जता दिया है कि वे अकेले दम पर मुकाबला करने की स्थिति में है।

भाजपा ने छह माह पहले लोकसभा चुनाव में दिल्ली सभी सात सीटे जीती


भाजपा लोकसभा चुनाव में दिल्ली सात सीटे जीती

जिस भाजपा ने छह माह पहले लोकसभा चुनाव में दिल्ली सभी सात सीटे जीती थी, उसी भाजपा को अब अधिकांश संसदीय क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा है। कुछ लोग कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली के मतदाताओं के सामने नरेन्द्र मोदी का चेहरा था, जबकि विधानसभा के चुनाव में भाजपा की ओर से कोई चेहरा प्रस्तुत नहीं किया गया। लेकिन यह तर्क केजरीवाल की रणनीति के सामने बेमानी है। भाजपा को अब इस बात पर मंथन करना चाहिए कि देश की राजधानी दिल्ली में हार के क्या कारण है?

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