Naresh Tomar ———: कोरोना वायरस में विश्व स्वास्थ्य संगठन कोना वायरस को लेकर विश्व भर में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए एक बार फिर सामने आया है. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि कोविड-19 मारी का कारण कोरोना वायरस मुख्य रूप से श्वास की नली और निकट संपर्क के माध्यम से फैलता है. यह हवा में लंबे समय तक जीवित नहीं रहता है.
दरअसल करुणा वायरस को लेकर देशभर में यह अफवाह फैलाई जा रही थी कि कोना वायरस मरीजों की स्वास बिंदु से फैल सकता है. और वह हवा में भी कई घंटे तक जीवित रह सकता है. शुक्रवार को दिए अपने बयान में डब्ल्यूएचओ ने आधा सत्य करार दिया है. और बताया कि कोरोना वायरस मरीजों की स्वास बिंदु से फैल सकता है. वायरस हवा में लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। जब कोई व्यक्ति आपके निकट हो जिससे खांसने छींकने जैसी स्वास्थ संबंधी लक्षण होते हैं.इस दौरान आपके शरीर में इंफेक्शन बिंदु के जरिए वायरस प्रवेश कर सकता है.
कोरोना वायरस का आमतौर पर 5 से 10 माइक्रोन का है डब्ल्यूएचओ ने यह भी रिपोर्ट दी कि संक्रमित व्यक्ति के आसपास के वातावरण में क्षेत्रों या वस्तुओं को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है. इसके अलावा इसमें हवा से फैलने वाला संक्रमण ड्रिप लेट ट्रांसमिशन से अलग है . चीन में कोना वायरस से 75465 मरीजों के विश्लेषण में हवा से संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया मौजूदा सबूत के आधार पर w.h. o ने कोरोना वायरस मरीजों की स्वास बिंदु से फैल सकता है. वायरस मरीजों की देखभाल कर रहे डॉ और नर्सो को अस्पताल से बहार निकलने के बाद कुछ बिंदु और नजदीकी संपर्क से सावधानी बरतने की सलाह दी है.