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बीच सड़क पर घरो से निकले गंदे,बदबूदार पानी ही मेरी पहचान है

बीच सड़क पर घरो से निकले गंदे,बदबूदार पानी ही मेरी पहचान है

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गाजीपुर।मनिहारी ब्लॉक से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ इन्द्रपुर,छिड़ी गाँव मेरा निवास स्थान है। लगभग 50 मीटर तक बीच सड़क पर घरो से निकले गंदे,बदबूदार पानी ही मेरी पहचान है।मैं बुजुर्गा-छिड़ी चौरा मार्ग हूँ, मेरे ऊपर जमा, घरों का गंदा पानी आज नाले का रूप ले चुका है बावजूद इसके मेरे आस-पास लोग मजबूरी में रहने को विवश है।आज मेरे हालात इस कदर खराब हो चुके है कि लोग मेरे ऊपर से चलना तो दूर इधर से आना भी मुनासिब नही समझते है।

जनप्रतिनिधियों एंव प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते मेरे हालात जस के तस विगत दो सालों से ऐसे ही बने हुए है,जिससे अपने स्थिति पर आंसू बहाने के लिए मजबूर हूं।मैं अपनी व्यथा किससे कहूं ना ही क्षेत्र के विधायक,ना ही सांसद, ना ही ग्रामप्रधान और ना ही जिलाधिकारी महोदय ही मेरी परेशानियों को दूर करने की कोशिश किये।मुझे याद है करीब दो साल पहले समस्याग्रस्त ग्रामीणों की भूख हड़ताल से अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का ध्यान खींचने की कोशिश कुछ साकार होती दिखी थी,मौके पर जिलाधिकारी के आदेश से एसडीएम,तहसीलदार,कानूनगो टीम के साथ पहुच जलनिकासी के लिए नाला की खुदाई करवाये थे,तो मुझे बेहद ही खुशी मिली थी परन्तु उस समय मेरे उपर बज्रपात गिरा जब कुछ ग्रामीण बंधुओ ने बगल के खेतों में जल निकासी होने से रोक दिया उसके बाद बर्तमान समय तक स्तिथि में कोई बदलाव नही हुआ। अगल-बगल रहने वाले लोगो के ताने सुन-सुन कर मैं व्यथित हूं।

सैकड़ो की संख्या में ग्रामीणों ने मेरे सीने के ऊपर, घुटने भर जमे बदबूदार पानी मे जब राज्यसरकार और जनप्रतिनिधियों के मुर्दाबाद के नारे लगाए तो उस समय मुझे बहुत रोना आया। मैं अपने आप से सवाल कर रहा था कि क्या मेरे ऐसे दुर्दिन आ गए है कि विकास का लबादा ओढ़े सरकार तनिक भी मेरे हालात पर ध्यान नही दे पाती।मेरे साथ-साथ मेरे अगल-बगल रहने वाले वाले बिचारे ग्रामीण भी इस हालात में नारकीय जीवन जीने को मजबूर है लेकिन ओ कर भी क्या सकते है बिचारे असहाय जो है।मुझे हँसी तो तब आती है जब चुनाव के समय मेरे इस दयनीय दशा से उबारने की बात कहते हुए नेता जी लोग आते है और चले जाते है,लेकिन चुनाव के बाद मैं उनकी राह देखते देखते थक हार अपनी नियति मान लोगो को वही सेवा देने के लिए तत्पर रहता हूं।

दिन,महीने,साल बदलते गए अगर नही बदली तो मेरे हालात।मेरे ऊपर घरों के गंदे पानी का घुटने भर जल-जमाव शायद आस-पास रहने वाले लोगो के साथ-साथ राहगीरो को भी काफी तकलीफदेह साबित हो रहा है।अगर मेरे आस-पास कोई एक दिन भी बीता के देखे तो शायद उसे महसूस हो जाएगा इस हालात में रहना कितना लोगो के लिए दुश्वारियों से भरा है।

सुनील सिंह

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