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दिल्ली में आयोजित हुए धर्मादेश कार्यक्रम पर पूर्व मंत्री आजम खां ने कहा कुछ ऐसा

दिल्ली में आयोजित हुए धर्मादेश कार्यक्रम पर पूर्व मंत्री आजम खां ने कहा कुछ ऐसा

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मैंने आपसे कई बार कहा है कि देश को अराजकता की तरफ ले जाने की कोशिश है। वो इसलिए कि अराजकता का रास्ता ही सत्ता का रास्ता बन सकता है। मुसलसल राम मंदिर के मुददे को खूनी रंग देने की कोशिश करना।  देश को अराजकता की तरफ ले जाना जबकि देश खुद आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ऐसा आर्थिक संकट जिसके बारे में पूरी दुनिया परेशान है। हिन्दुस्तान के अर्थशास्त्री परेशान हैं कि आखिर कल के हिन्दुस्तान का भविष्य क्या होगा? आज हमने टीवी पर संत महाराज के सम्मेलन का निर्णय सुना, उन्हेंाने कहा है कि अब संघर्ष नहीं संग्राम होगा। सवाल यह उठता है कि यह संग्राम किसके साथ होगा? मुसलमानों ने तो 6 दिसम्बर 1992 को भी संग्राम की शुरूआत नहीं की थी। आपने एक तरफा मस्जिद गिराई थी। कहीं भी मुसलमानों का आपसे क्लैश नहीं हुआ। आप ताकत में हैं बहुमत में हैं, बहुसंख्यक हैं इसलिए कोेई प्रश्न ही नहीं उठता। अदालत का फैसला आप मानेंगे नहीं।

आरएसएस से एडवाइज़री जारी हो चुकी है सुप्रीम कोर्ट के लिए कि मंदिर के पक्ष में फैसला करें। एडवाइजरी से काम नहीं चला आदेश जारी कर दें। एक नये महाभारत के हालात हैं लेकिन इसमें कौरव कौन होंगे पाण्डव कौन होंगे यह मुसलमानों को तय नहीं करना है। यह स्वयं आरएसएस और राममंदिर की चाहत रखने वालों और भाजपा को तय  करना है। आखिर इस रास्ते का रोड़ा है कौन? इस रास्ते का रोड़ा अगर हैं तो आरएसएस, भाजपा है और कानून मानने वालेां के लिए अदालत है। अगर कोई संग्राम होना है तो हमारा निवेदन यह है कि उसमें मुसलमानों का नाम हटा दिया जाये। क्योंकि महाभारत में कौरव और पाण्डवों का फैसला कौन होंगे यह स्वयं देश के बहुसंख्यकोें को तय करना है। अल्पसंख्यकों को तय नहीं करना है।

अगर मेरे पास फैसला लेने का हक होता और राम की मूर्ति बनना ही होती तो मैं चुनाव के इतने करीब यह फैसला नहीं लेता और अगर हिन्दुस्तान में भी जिस देश में बहुसंख्यकों के भगवान हों राम! और हम के लिए इंसानियत का प्रतीक हों। हमारी नजर में उनका किस हद तक इज्जत और एहतराम है यह सब जानते हैं। कितना बड़ा बाबरी मस्जिद मूवमेंट चला हम कन्वीनर रहे लेकिन एक शब्द भी राम और सीता की तौहीन में नहीं कहा। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। अब मोदी जी योगी जी के इस दौर में राम छोटे हों और रामजन उंचे हों तो विचार का बिन्दु तो बनता है। चुनाव सामने है यह गलती मंहगी पड़ सकती है। राम को तो बड़ा ही होना चाहिए।

अभिषेक शर्मा रामपुर
हिंद न्यूज टीवी

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