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गोमुख-आखिर क्यों तीन धाराओं से बह रही गंगा

गोमुख-आखिर क्यों तीन धाराओं से बह रही गंगा

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भारत में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता ही जा रहा है, खासकर पहाड़ी क्षेत्रांं में इसका असर ज्यादा देखनें को मिल रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते पृथ्वी का तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो बहुत जल्द ही सरस्वती की तर्ज पर गंगा भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। गंगा मात्र एक नदी नही गंगा भारत की संस्कृति है उसकी आत्मा है। मां गंगा के बिना हिंदुस्तान पूरी तरह अधूरा माना जाएगा। मगर गंगा आज प्रदूषण और गंदगी के दौर से इस कदर गुजर रही है जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती है। इस गंदगी के कारण ही मां गंगा का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। गंगा भी इतिहास के पन्नों में उसी प्रकार सिमट कर रह जाएगी जैसे सरस्वती नदी का सिर्फ जमीन में सिमट कर रह गई है। क्योंकि गंगा को लेकर एक बहुत ही चौंकाने वाली बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि गंगा का जहां से जन्म होता है यानी हिमालय पर गोमुख से गंगा निकल कर पूरे भारत की प्यास भूजाते हुए हिंद महासगार में समा जाती है। आज वहीं गंगा तीन धाराओं में बह रही है। मतलब गंगा अब गोमुख से नही बह रही है, और इसका कारण हिमालय से खिसकते ग्लेशियर का एक किलो मीटर पीछे खिसक जाना। ये माना जा रहा है कि गंगा अब इसी की वजह से तीन धाराओं में बह रही है। और ये सब ग्लोबल वार्मिंग की ही देन है।

ये संसार प्रकृति का अनोखा वरदान है, और इसी प्रकृति की बदोलत हमें ये जीवन मिला है मगर आज का इंसान अपने स्वार्थ के लिए इसी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जिसका अंजाम हम सभी भुगत रहे है। अधिक वर्षा होना, पहाड़ों का खिसकना, ग्लेशियर का खत्म होना। इन सब के पीछे इंसानों ने हमेशा से अपना फयादा देखा है, आये दिन पहाड़ों व वनों में पेड़ों का कटाई करना, उद्योग-धंधों को चलाने के लिए प्रकृति के नियम कानून को तोड़ना व खुद को प्रकृति का भगवान मान लेना।

अब आप ही सोचिए अगर पहाड़ों से पेड को काटा जाएगा तो गर्मी तो उत्पन्न होना लाजमी है और गर्मी के कारण ग्लेशियर पिंगल रहे है व गंगा धीरे धीरे विलुप्त होनें की कगार पर है। यदि यही स्थित रही तो 2035 तक ग्लेशियर पिघलकर समाप्त हो जायेगा। समुद्र तल से 12ए770 फीट एवं 3770 मीटर ऊचाई पर स्थित गोमुख ग्लेशियर 2ण्5 किमी चौड़ा व 27 किमी लम्बा हैए जबकि कुछ साल पहले गोमुख ग्लेशियर 32 किमी लम्बा व 4 किमी चौडा था।गोमुख ग्लेशियर पिघलने से गंगा बेसिन के क्षेत्र उत्तारांचलए बिहारए उत्तार प्रदेश का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। गोमुख क्षेत्र में लोगों का हजारों की संख्या में पहुंचना भी एक हद तक ग्लेशियर को नुकसान पहुंचा रहा है। यदि ग्लेशियर पर पर्वतारोही दलों के अभ्यास को बंद करने के साथ ही ग्लेशियर पर चढ़ने की सख्त पाबंदी लगा दी जाए तो काफी तक गोमुख ग्लेशियर की उम्र बढ़ सकती है।

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