
राजधानी दिल्ली की सड़कों से दो हजार बसें हटा दी गई हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बसों की कमी के कारण यात्री लंबे समय तक बसों का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। हालात यह हैं कि कई घंटे इंतजार करने के बावजूद लोगों को बस से सफर करने का मौका नहीं मिल पा रहा है। पीक आवर्स में यह समस्या और गंभीर हो जाती है।
दोपहर के समय बसों की फ्रीक्वेंसी कम होने के कारण स्टॉप पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो जाती है। बस आने पर भी सवार होने की कोई गारंटी नहीं रहती। सीट को लेकर भी यात्रियों के बीच धक्का-मुक्की और बहसबाजी आम हो गई है। सोमवार को अमर उजाला की पड़ताल में दिल्ली के सैकड़ों बस स्टैंड्स पर यात्री घंटों इंतजार करते दिखाई दिए। केंद्रीय सचिवालय, शिवाजी स्टेडियम, जंतर मंतर, आरएमएल अस्पताल, समेत कई अन्य बस स्टैंड्स पर भी यही हालात देखने को मिले।
डीटीसी के एक अधिकारी ने बताया कि हटाई गईं बसों में से कई दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की थीं, जिनकी निर्धारित किलोमीटर सीमा और मियाद पूरी हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि पुरानी बसें समय के साथ तकनीकी रूप से कमजोर हो जाती हैं, जिससे यात्रियों की सुरक्षा गंभीर रूप से खतरे में पड़ सकती है। जैसे-जैसे बसें पुरानी होती हैं, उनके इंजन, ब्रेक सिस्टम अन्य महत्वपूर्ण पुर्जे घिसने लगते हैं। रखरखाव में जरा सी भी लापरवाही गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए और दुर्घटनाओं की आशंका को कम करने के लिए इन बसों को हटाया गया है।
मैं रोजाना राजेन्द्र नगर प्लेस से लक्ष्मी नगर की बस से आता जाता हूं, लेकिन आए दिन बस का इंतजार लंबा होता जा रहा है। इससे दफ्तर जाने में देर हो जाती है। इसका समाधान करना चाहिए। –विजय
बसे हटाने से काम प्रभावित हो रहा है। रोजाना दफ्तर जाने में देरी, घर वापस लौटने में देरी हो रही है। इस गर्मी में स्टैंड पर इंतजार करना बहुत मुश्किल है। इसका हल करना चाहिए। –जीएन तिवारी
बुजुर्गों को बसों की सबसे ज्यादा जरूरत है। अब बसें हटाने से आने-जाने में बहुत दिक्कत हो रही है, क्योंकि पहले के मुकाबले बस स्टैंड पर ज्यादा समय तक खड़ा रहना पड़ता है। –रंजीत