
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य उत्पादों के लेबल, पैकेजिंग और प्रचार सामग्री पर ‘100 प्रतिशत’ जैसे शब्दों के बढ़ते इस्तेमाल पर गंभीर चिंता जताई है। गुरुवार को जारी एक कड़े परामर्श में प्राधिकरण ने स्पष्ट कहा कि इस शब्द का उपयोग उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकता है, क्योंकि यह अस्पष्ट और नियामकीय दृष्टि से अपरिभाषित है।
एफएसएसएआई ने सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों को सलाह दी है कि वे अपने उत्पादों पर ‘100 प्रतिशत’ शब्द का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे उपभोक्ता भ्रमित हो सकते हैं और यह मौजूदा नियमों का उल्लंघन भी हो सकता है।
‘100 प्रतिशत’ शब्द भ्रामक और नियमों के खिलाफ
खाद्य नियामक ने कहा कि हाल के समय में खाद्य उत्पादों के प्रचार में ‘100 प्रतिशत’ शब्द के उपयोग में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिससे उपभोक्ताओं के मन में भ्रम पैदा हो रहा है। एफएसएसएआई के अनुसार, यह शब्द मौजूदा खाद्य सुरक्षा एवं मानक (विज्ञापन एवं दावे) नियम, 2018 के तहत किसी भी रूप में परिभाषित नहीं है। इस कारण, इसका प्रयोग भ्रामक और संभावित रूप से भेदभावपूर्ण हो सकता है।
विज्ञापन नियमों का उल्लंघन न करें कंपनियां
प्राधिकरण ने उप-नियम 10(7) का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी विज्ञापन या दावा जो किसी अन्य निर्माता को कमतर दिखाए या उपभोक्ता को भ्रमित करे, वह नियमों के तहत सख्ती से प्रतिबंधित है। साथ ही, उप-नियम 4(1) के अनुसार, किसी भी दावे को सत्य, स्पष्ट, अर्थपूर्ण और उपभोक्ताओं के लिए समझने योग्य होना चाहिए।
एफएसएसएआई की प्राथमिकता: पारदर्शिता और उपभोक्ता हित
एफएसएसएआई ने स्पष्ट किया कि वह उपभोक्ताओं को सही और भरोसेमंद जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध है। खाद्य लेबलिंग में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करते हुए, उपभोक्ता हितों की रक्षा करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी उद्देश्य से खाद्य व्यवसायों से कहा गया है कि वे ‘100 प्रतिशत’ जैसे भ्रमित करने वाले शब्दों से परहेज करें और नियमों का पालन करें।