
संयुक्त राष्ट्र (UN) सचिवालय अपने 3.7 बिलियन डॉलर के बजट में 20 प्रतिशत की कटौती करने की योजना बना रहा है, जिसके चलते लगभग 6,900 नौकरियों पर असर पड़ सकता है। यह कदम संगठन की वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के प्रयासों का हिस्सा है।
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब संयुक्त राष्ट्र आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसका एक प्रमुख कारण अमेरिका की बकाया भुगतान है। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका पर संयुक्त राष्ट्र का करीब 1.5 बिलियन डॉलर बकाया है, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में विदेशी सहायता में की गई कटौती और यूएन मानवीय एजेंसियों को नुकसान से जुड़ा है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के नियंत्रक चंद्रमौली रामनाथन ने अमेरिका की देरी को सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया। उन्होंने बताया कि यह कटौती मार्च में शुरू की गई “यूएन80” समीक्षा का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार संगठन को सक्षम बनाना है।
बदलाव की शुरुआत 1 जनवरी से
रामनाथन ने कहा कि यह एक महत्वाकांक्षी प्रयास है ताकि संयुक्त राष्ट्र सभी के लिए बेहतर जीवन और भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सके। यह कटौती 1 जनवरी से लागू होगी, जो नए बजट चक्र की शुरुआत है।
विभागों का विलय और कर्मचारियों का स्थानांतरण संभव
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हाल ही में एक सार्वजनिक ब्रीफिंग में कहा कि वे बड़े बदलावों पर विचार कर रहे हैं। इसमें प्रमुख विभागों का विलय, संसाधनों का वैश्विक स्तर पर पुनर्वितरण, एजेंसियों का एकीकरण, कम लागत वाले शहरों में कर्मचारियों का स्थानांतरण और अनावश्यक नौकरशाही को समाप्त करना शामिल है।
गुटेरेस ने कहा कि यह बदलाव संगठन को अधिक प्रभावी, लचीला और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।