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अपने देश एवं धर्म के लिए,हिंदू धर्म पर प्रहार करने वालों के खिलाफ,अपने देश वासियों को मंगलवार – मंदिर जाना है

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नरेश तोमर दिल्ली —

हम सब प्रत्येक मंगलवार को मंदिर में पहुंचने की आदत डालें। जिस तरह ईसाई रविवार को चर्च जरूर जाता है, मुसलमान शुक्रवार को मस्जिद जरूर जाता है। हमें भी मंगलवार का दिन तय करना पड़ेगा।

*मंगलवार बल, बुद्धि और शक्ति के देव हनुमान जी का दिवस है, उनकी पूजा से हममें भी यह गुण आतें हैं।*
आप सभी को शिकायत होती है कि हिंदू कभी हिंदू के लिए खड़ा नहीं होता। कैसे होगा क्या आपने ऐसा कोई नियम बना रखा है जिसमें आप कम से कम सप्ताह में एक बार एक दूसरे से मिले।आइए हम अपने वीरान पड़े मंदिरों को शक्ति और संगठन स्थल के रूप में विकसित करें।


प्रत्येक मंगलवार शाम को 7:00 से 8:00 के बीच आप चाहे कहीं भी है मंदिर अवश्य पहुंचे।हनुमान चालीसा एवं आरती का यही समय होता है, उसमें अवश्य शामिल हों।आप अपने घर पर हैं तो घर के पास के मंदिर में, दुकान पर है तो दुकान के पास के मंदिर में, ऑफिस में है तो ऑफिस के पास किसी मंदिर में, अगर आप यात्रा पर भी हैं तो आप जहां भी हैं वहां पर आसपास किसी भी मंदिर में हर मंगलवार शाम 7:00 से 8:00 के बीच अवश्य पहुंचे।

कल्पना कीजिए भारतवर्ष में लाखों लाखों मंदिर हैं। अगर हर मंदिर में सिर्फ 50 से 100 लोग भी पहुंचेंगे और एक साथ उनके घंटों की शंख की और आरती की आवाजें गूंज आएगी तो एक मिश्रित संगीत जब पूरे भारतवर्ष में हर मंगलवार ठीक शाम 7:00 से 8:00 के बीच में गूंजेगा तो यह आवाज पूरी दुनिया में जाएगी। इसका असर बहुत ही दूरगामी होगा। विश्वास कीजिए आज की सभी समस्याएं कपूर की तरह उड़ जाएंगी इतनी बड़ी संख्या में जब हिंदू अपने मंदिरों में पहुंचेगा वह भी हर सप्ताह तो किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं होगी कि हिंदू को छेड़ सके।

संभव हो तो अपने साथ अपनी पत्नी-बच्चों को लेकर मंदिर जाएं। जब आप इस तरह से नियमित रूप से हर मंगलवार मंदिर पहुंचेंगे तो वहां आपके आस पड़ोस में जो लोग हैं वह भी आपसे मिलेंगे, आपकी जान पहचान बढ़ेगी, आपस में संबंध बढ़ेंगे और फिर आप एक दूसरे के सुख-दुःख में भी शामिल होंगे, इसी तरह से हम सभी एकता के सूत्र में बंध जाएंगे।


*आज ही प्रण करें चाहे हम कुछ भी कर रहे हैं हर मंगलवार शाम 7:00 से 8:00 के बीच हम मंदिर जरूर पहुंचेंगे।* अपने लिए नहीं अपने समाज और अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए। ध्यान रहे अब यह आवश्यक हो चुका है। अगर आप इसे अभी भी टालते रहे तो बहुत बड़े खतरे में आप पड़ने वाले हैं। जितना शीघ्र आप इसे शुरू करेंगे उतना जल्दी आप एक दूसरे से एकता के सूत्र में बंध जाएंगे।

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