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एनआईए की जितनी तारीफ की जाए कम है, भारी हादसा होने से बचा लिया

एनआईए की जितनी तारीफ की जाए कम है, भारी हादसा होने से बचा लिया

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नई दिल्ली। मंगलवार को देश की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली के सीलमपुर इलाके, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, अमरोहा और हापुड़ जिलों में छापेमारी करके बड़ी संख्या में विस्फोटक, देसी रॉकेट लॉन्चर, 100 मोबाइल फोन और 135 सिम कार्ड बरामद किए हैं।यह सब अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के षड्यंत्रों के अंर्तगत गणतंत्र दिवस पर दिल्ली और अन्य स्थानों पर बम और दूसरे घातक हथियारों से धमाके करनेवाला था।

NIA ने जिन दस युवाओं को गिरफ्तार किया है वे हैं : (1) मुफ्ती मोहम्मद सुहैल (26) अमरोहा में एक मदरासे का मुफ्ती है,(2) अनस यूनुस (24 ) दिल्ली के जाफराबाद का रहने वाला हैऔर नोएडा में एक यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग का छात्र है (3) राशिद जफर( 23 ) दिल्ली के जाफराबाद में गारमेंट्स का कारोबारी है(4) सईद ( 28 ) जिसकी अमरोहा में वेल्डिंग की दुकान है(5) रईस अहमद जो सईद का भाई है,अमरोहा के इस्लाम के एक कारखाने में वेल्डिंग का काम करता है(6) जुबैर मलिक गुल (20) जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में बी.ए. थर्ड इयर का स्टूडेंट है(7) जायद मलिक( 22 )जो जुबैर का भाई है और दिल्ली के जाफराबाद में ही रहता है(8) साकिब इफ्तेखार ( 26) जो हापुड़ का रहने वाला है और बकसर की जामा मस्जिद में इमाम है(9) मोहम्मद इरशाद अमरोहा में काजी मोहल्ला का निवासी और ऑटो रिक्शा ड्राइवर है औऱ (10) मोहम्मद आजम ( 35) जो दिल्ली का रहने वाला है और आजम सीलमपुर में एक मेडिकल शॉप चला रहा था।

एनआईए के आई जी के अनुसार इन सबकी तैयारी फिदायीन हमलों को अंजाम देने की थी।
यह खबर आज सभी समाचारपत्रों और न्यूज चैनल्स में है परंतु मेरा यहां अभियुक्तों के नाम,उम्र और पेशे का खुलासा करने का इरादा कुछ दूसरा है।जिसके संकेत प्रत्येक अमन पसंद और इस राष्ट्र भक्त जिम्मेदार नागरिकों को समझने की जरूरत है।

इस छापे से जिस तरह के संकेत और सन्देश मिलते है वे काफी चौकानेवाले और चिंता करनेवाले हैं।एक छोटे से कॉलम में पूरे निष्कर्ष तो नहीं बताये जा सकते और न बताकर हम किसी भी प्रकार का पैनिक खड़ा करना चाहते हैं परन्तु कुछ तो जिम्मेदारी पूरे देश और प्रत्येक नागरिक की है जिसे समय रहते समझा जाना चाहिए।

इन छापों में पकड़े गए लोगों और घातक हथियारों,सिम कार्डों से समझा जा सकता है कि देश बहुत बड़े खतरे के बीच से गुजर रहा है।मेरा किसी विशेष मजहब पर आरोप लगाने का इरादा कतई नहीं है पर इतना तो समझना ही होगा कि इन युवाओं को केवल पैसे के खातिर इतना जघन्य षड्यंत्र करने के लिए तो तैयार नहीं किया गया होगा और न केवल यूपी या दिल्ली तक उन्हें सीमित रखा जा सकता है । निश्चित ही इस सबके बीच एक ‘बिलीव’ है जो इस तरह के कुकृत्यों के लिये जिम्मेदार है और समाज में ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो उनकी प्रशंसा करते होंगे या प्रोत्साहन देते होंगे।

इसलिए पूरे देश को साबधान रहना होगा। सतर्क रहने और समय से उसकी जानकारी उचित स्थान पर देने की जिम्मेदारी केवल पुलिस,सीबीआई या एटीएस- एनआईए जैसे संगठनों के सूत्रों तक सीमित मानना गलत होगा।यदि देश का प्रत्येक नागरिक समय रहते सतर्क न हुआ तो अपने प्यारे देश को इराक या सीरिया बनते देर नही लगेगी।
यह कहना भी ठीक नहीं होगा कि कुछ गुमराह युवक इन कुकृत्यों में संलग्न होंगे बल्कि पकड़े गए सभी दसों अपराधी युवा है,विभिन्न व्यवसायों में संलग्न है।वे मदरसे के मुफ़्ती,मस्जिद के इमाम ,विश्वविद्यालय के छात्र , इंजीनियरिंग में अपना कैरियर बनाने वालों से लगाकर साधारण श्रमिक, दुकानदार और ऑटो चलनेवाले है तो यह हमें भी जानना होगा कि इन।कुकृत्यों में कोई भी हो सकता है।
एक संकेत और मिलता है कि इस तरह की गतिविधियां लम्बे समय से चलाईं जाती रहीं होंगी और जब चल रहीं होगी तो किसी ने किसी को संदेह अवश्य हुआ होगा। तब किसी ने छापे से पूर्व क्यों नहीं दी ? इस तरह की गतिविधियों में समूह की स्वीकृति की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

मान लेते हैं कि देश के नागरिक सतर्क हों और सुरक्षा संस्थान भी सक्रिय होकर कर्तब्यनिष्ठ हों किन्तु बिना राजनीतिक इच्छा शक्ति और अनुकूल वातावरण के उन्हें रोकना कतई संभव नहीं है।

यह राजनीतिक इच्छा शक्ति और निर्पेक्षभाव से कार्य करने का ही परिणाम है कि पिछले पांच साल में देश में कोई धमाका नहीं हुआ बरना देश के किसी न किसी भाग में धमाके होते ही रहते थे। संकेतों से समझने की जरूरत है क्योंकि मैं देश की सुरक्षा के मामले में राजनीति को भी नहीं लाना चाहता।पर इतना तो कहना ही पड़ेगा कि हाल के सालों में हमारा विपक्ष इतना गैरजिम्मेदार हो गया है कि वह देश की सुरक्षा और आर्थिक संपन्नता से जुड़े संस्थानों पर क्षणिक राजनीतिक स्वार्थों के लिए हमले करने में कतई संकोच नहीं कर रहा है।इसी संदर्भ में एक प्रकरण का उल्लेख करना अनुचित न होगा कि पहले एनडीए और एटीएस का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है।’हिन्दू आतंकवाद’ की नई संज्ञा इन्हीं सुरक्षा अभिकरणों के द्वारा कराए जाने में रुचि लेने और निर्दोष लोगों को फसाने के पीछे का हेतु चिंताजनक है।

इसलिए देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा सबसे बडी जिम्मेदारी है जो न केवल सरकार की है बल्कि प्रत्येक नागरिक की है।इसके प्रति हमें सदैव सतर्क और जागरूक रहना होगा।

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